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Thursday, July 16, 2020

! *.. आर्मी मैन पार्ट - 2. . * !

फौजी.....



शिवम् ने अपनी रात की ड्यूटी लगवा ली. वह रोज रात को 11 बजे से ढाई बजे या 3 बजे तक ड्यूटी करता और पूरी ड्यूटी के दौरान भावना से बातें करता रहता....
हर 10-15 मिनट पर वह सिटी बजा कर अगली पोस्ट पर अपने इधर सब ठीक होने की सूचना देता और.. फिर जब उधर से जवाब आ जाता तो फिर भावना से बातें करने लगता ऐसे दोनों काम हो जाते. ...
पत्नी और देश दोनों के प्रति वह पूरी ईमानदारी से अपना फर्ज पूरा कर देता.....
3 बजे वह रूम में आता. हाथमुंह धो कपड़े बदल मुश्किल से डेढ़ दो घंटे सो पाता कि फिर सुबह उठ रैडी हो कर ड्यूटी जाने का समय हो जाता. फिर सारे दिन की भागादौड़ी. उस की यूनिट के लोग उस की दीवानगी देख कर उस पर हंसते, लेकिन उस की देश और परिवार दोनों के प्रति गहरी निष्ठा देख कर उस की सराहना भी करते. इधर 2-3     ऐनकाउंटरों में मिलिटैंट्स के मारे जाने के बाद से .....  पूरे सैक्टर में खामोशी सी छाई थी.



लेकिन शिवम् को हमेशा लगता रहता कि यह किसी जोरदार धमाके के पहले की शांति हो सकती है....
हो सकता है अचानक जबरदस्त हमले का सामना करना पड़े. वह अपनी तरफ से हर समय चौकन्ना रहता. लेकिन पूरा महीना शांति से बीत गया शिवम की छुट्टी मंजूर हो गई. अब उस की बेचैनी और ज्यादा बढ़ गई....
दिन काटे नहीं कटते.
घर जाने के लिए यूनिट से सवा घंटा बस से जम्मू. जम्मू से ट्रेन पकड़ कर अजमेर और फिर अजमेर से दूसरी ट्रेन पकड़ कर अहमदाबाद पूरे 2 दिन का सफर तय कर वह अहमदाबाद बस स्टैंड पहुंचा....
टैक्सी ले कर 1 बजे अपने घर भावना  के सामने खड़ा था.
भावना का चेहरा अपने हाथों में थाम कर शिवम्  ने उस का माथा चूम लिया..... 2 मिनट तक वह उसे एकटक देखता रहा. उस का प्यारा चेहरा देख कर शिवम् की पिछले कई महीनों की थकान दूर हो गई, सारा तनाव खत्म हो गया. भावना के साथ जिंदगी एक बार फिर से प्यार भरी थी, खुशनुमा थी. दूसरे दिन भावना का अल्ट्रासाउंड होना था....शिवम् उसे क्लीनिक ले गया. उस ने डाक्टर से रिक्वैस्ट की कि वह भावना के साथ अंदर रहना चाहता है, जिसे डाक्टर ने स्वीकार लिया. मौनिटर पर शिवम् बच्चे की छवि देखने लगा.... खुशी से उस की आंखें भर आई...
रात में जब दोनों खाना खाने बैठे तो शिवम् को महसूस हो रहा था जैसे वह पता नहीं कितने बरसों के बाद भावना के साथ बैठा है एकदम फुरसत से.... कितना अच्छा लग रहा है… दिमाग में तनाव नहीं… मन में कोई हलचल नहीं. सब कुछ शांत.... 
सुव्यवस्थित ढंग से चलता हुआ शिवम्  ने एक गहरी सांस ली कि काश....... 

  To be continued..... 

जय हिंद

Tuesday, July 14, 2020

.. ! आर्मी मैन !..

फौजी.....


शिवम्  उस समय ड्यूटी पर था जब उसे पता चला कि वह बाप बनने वाला है.....
पत्नी भावना  से फोन पर बात करते हुए शिवम् का गला खुशी से भर्रा गया....
उसे अफसोस हो रहा था कि वह इस समय भावना के साथ नहीं है.... उस ने फोन पर ही ढेर सारी नसीहतें दे डाली कि यह नहीं करना.... वह नहीं करना.....

ऐसे मत चलना... . बाथरूम में संभल कर जाना.... कश्मीर के अतिसंवेदनशील इलाके में तैनात पैरा कमांडो मेजर शिवम् जो हर समय कदम कदम पर बड़ी बहादुरी और जीवट से मौत का सामना करता है, आज अपने घर एक नई जिंदगी के आने की खुशी में भावुक हो उठा...
ना जाने कब आंखों में नमी उतर आई. आम लोगों की तरह वह इस समय अपनी पत्नी के पास तो नहीं हो सकता, लेकिन है तो आखिर एक इंसान ही.... 
लेकिन क्या करे किसी बड़े उद्देश्य की खातिर, अपने देश की खातिर अपनी खुशियों की कुरबानियां तो देनी ही पड़ती है....
शाम को मेस में जा कर शिवम् ने खुद सब के लिए सेंवइयों की खीर बनाई और सब को खिलाई......
उस रात शिवम् की आंखों से नींद कोसों दूर थी. सब कुछ सपने जैसा लग रहा था.....
शिवम्  बारबार भावना  को फोन कर उस से पूछता, ‘‘भावना .... यह सच है ना....
भावना  को हंसी आ जाती, उस के और भावना  के प्यार का अंश..... 
उन का अपना बच्चा.....भावना  आज और भी ज्यादा अपनी, और भी ज्यादा प्यारी तथा दिल के और करीब लग रही थी.....शिवम् ने सुबह 6 बजे से ही भावना को फोन करना शुरू कर दिया...
‘‘क्या कर रहा है मेरा बच्चा.... 
भूख तो नहीं लगी....
जल्दी से ब्रेकफास्ट कर लो....और दवा ली....
कैलेंडर पर 1-1 कर के तारीखें आगे बढ़ रही थीं और शिवम्  के छुट्टी पर जाने के दिन भी करीब आते जा रहे थे. वैसे तो भावना से शादी होने के बाद से शिवम् को हर बार ही छुट्टी पर जाने की जल्दी रहती थी, लेकिन इस बार तो उसे बहुत ही ज्यादा बेचैनी हो रही थी. हर दिन महीने जितना लंबा लग रहा था....उधर भावना  को भी रात देर तक नींद नहीं आती थी...दिन तो फिर भी कट जाता था, लेकिन रात भर वह बेचैनी से करवटें बदलती रहती......

    ..to be continued..


जय हिंद

Hello dosto.. ye kahani desh ki army man ke bare me hai... jo desh ke rakhsa or parivar dodo ke prati apne kartv pyar ko apni jaan se bi jada.. mahtv deta.... 
 A real heroes Army..... 

Sunday, July 5, 2020

.. ! "* सच्ची मोहब्बत *" ! ..

       सच्ची मोहब्बत...


..एक बार ऐसा हुआ पति पत्नी में छोटी सी बात पर झगड़ा हो गया
गर्मीयो की रात थी वो दोनों अपनी अपनी जगा पर सो गये आधी रात को पति को प्यास लगी
वाटर कूलर पास ही मेज़ पर रखा था पति ने खुद उठ कर पानी पिया अचानक उसने मुड कर देखा
बीवी उसे गुस्से में देख रही थी और बोली आपने पानी खुद कियो पिया पति ने भी गुस्से और अकडन से जवाब दिया हाथ पाँव सलामत हैं खुद पी सकता हूँ मोहताज नहीं हुँ..


बीवी ने क़रीब आकर पति का गिरबान पकड़ लिया और बोली केे एक बात गोर से सुनो मेरी
लड़ाई अपनी जगह लेकिन में अपना हक़ और ख़ुशी को छीनने नहीं दूंगी
पता है आपको पानी पिलाते हुए कितनी मुझे ख़ुशी होती है भले ही बात चीत बंद कियो न हो
लेकिन पानी आप खुद नहीं पीयेंगे बीवी की आँखें नर्म और नाज़ुक सुर्ख थी पति ने
उसे गले लगाया और झगड़ा खत्म कर दिया❤❤ और फिर दस साल बाद...

जब रात को तीन बजे पति पानी पीने केे लिए उठता है तो दीवार पर लगी बीवी की खूबसूरत तस्वीर
को देख कर आँखों से पानी बहनें लगता है और भीगी हुई आँखों से तसवीर को हाथ लगाता हैं उसे अपनी बीवी की एक बात याद आ जाती है ..वो कहती थी मोहब्बत मर नहीं सकती
मेरे भाइयों और बहनो अपने क़रीब लोगों की क़दर कीजिए क्या पता वक़्त कहा पलटी मार दे !!.... 
.. 
thanku for read.... 

Wednesday, July 1, 2020

"*आत्मा की शांति *"

Meri kahaniya... 

                 * आत्मा की शांति *


आत्मा की शांति.....

घर में क्रंदन मचा हुआ था। रात घर के मुखिया प्रकाश जी का हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। सभी रिश्तेदारों को खबर करवा दी गई थी। दूर-दूर से रिश्तेदारों के आने में 12:00 बज गए। प्रकाश जी की पत्नी अपने पति की असामायिक मृत्यु से सदमे में थी और कई बार बेहोश हो चुकी थी। उनकी पुत्र वधू किसी तरह उन्हें संभाल रही थी।
उनका डेढ़ वर्षीय पोता अपनी दादी के आंसू पोंछता और फिर खुद भी रोने लग जाता। थोड़ी थोड़ी देर में वह अपनी मां को दूध व खाने के लिए भी कहता। लेकिन रमा आने जाने वालों को पानी देने व बैठाने के इंतजाम करने में इतनी व्यस्त थी कि वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी।
दाह संस्कार से आने के बाद बड़े बुजुर्ग व अन्य पारिवारिक सदस्य प्रकाश जी की आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं के शांतिभोज में क्या क्या बनेगा इस बात पर चर्चा करने बैठ गये।
रमा की बुआ सास ने उसे घर की धुलाई के लिए बोल दिया। रमा ने जल्दी से सारे काम निपटा, अपने बेटे के लिए खिचड़ी बना दी। वह जैसे ही उसे खिलाने के लिए खिचड़ी थाली में डालने लगी, तभी बुआ सास रसोई में आ गई और खिचड़ी देखते ही गुस्से से बोली "यह क्या अनर्थ कर दिया बहु तूने! तुझे इतना भी नहीं पता कि घर में 2 दिन तक चूल्हा नहीं जलता!"

रमा घबरा गई और बोली "माफ करना बुआ जी, मुझे नहीं पता था। राघव सुबह से भूखा था और वो दोपहर में खिचड़ी ही खाता है इसलिए मैंने बना दी।"
" खिचडी क्यों, पकवान बना देती! कुछ देर और रुक जाती पड़ोसी ला रहे थे ना खाना बनाकर। पर तुम्हें तो अपनी मनमानी करनी है। अब खड़ी खड़ी मुंह क्या देख रही है। अपने ससुर की आत्मा की शांति चाहती है तो जा फैंक दे इस खिचड़ी को।"
रमा जैसी खिचड़ी को फैंकने लगी, तभी उसकी सास वहां आ गई और बोली "रुक जा बहु। खिचड़ी फैंकने की कोई जरूरत नहीं । जा इसे राघव को खिला दे।"
"यह क्या कह रही हो भाभी। यह तो नादान है। तुम्हें तो सब रीति रिवाजों का पता है ना!"
"सब पता है मुझे इन आडंबरों का। वहां तेरे भैया की चिता की राख ठंडी भी नहीं हुई और यहां बैठ सब उनकी तेरहवीं पर बनने वाले पकवानों की लिस्ट बनाने बैठ गये। देखो तो जरा बाहर। अभी तक सब घड़ियाली आंसू बहा रही थे और अब हंसी ठिठोली में मगन है। ये सब तो समझदार है ना! जानती हूं तुझे भी अपने भैया के असमय जाने का बहुत दुख है। लेकिन इसमें इस नासमझ का क्या दोष! इन रीति रिवाजों के नाम पर इस नन्ही सी जान को भूखा रखना शोभा देता है क्या! तुझे तो पता है ना कि तेरे भैया की जान बसती थी अपने पोते में तो क्या उसे भूखा देखकर उनकी आत्मा को शांति मिलेगी। " कह रमा की सास रोने लगी.....



"सही कह रही हो भाभी। भैया की आत्मा को शांति उन पकवानों से नहीं, अपने पोते को ये खिचड़ी खाते देख कर मिलेगी। जा बहु खिला दे राघव को खिचड़ी।" कह वह भी अपनी आंखों में आए आंसुओं को पोंछने लगी...



         Thanku fot read....... 

Sunday, June 28, 2020

* माँ का प्यार *

Meri kahaniya 


                 माँ का प्यार, 

......😊तीन वर्षीय टिंकू कुर्सी पर झूलते झूलते मोबाइल चला रहा था...
अचानक कुर्सी टूट गई ...
टिंकू धडाम से जमीन पर गिरा ....ये देखकर उसका बडा भाई दौड़ते हुए आया और मोबाइल छीनते हुए बोला
इसीलिए मे तुझे मोबाइल नही देना चाहता....
तबतक पिताजी भी वहां पहुंच गए....
थप्पड़ों की बरसात करते हुए बोले...नालायक...
कितनी बार तुझे कहा है कुर्सी बैठने के लिए होती है झूला झूलने के लिए नही ...
इतनी पुरानी मनपसंद कुर्सी तोड दी ...
आज से तेरी पाँकेटमनी बंद....
तबतक रसोईघर में काम कर रही मां भी दौड़ती हुई आई ...टिंकू को गोद मे उठाकर पुचकारते हुए बोली 
मेरे बच्चे ...कही चोट तो नही लगी ...
शरीर पर इधर उधर देखने लगी और फूंक मारकर हाथ पैरों को सहलाने लगी ....
टिंकू का कोमल मन प्यार का असल मतलब समझने की चेष्टा कर रहा था....
दोस्तों यहां मे किसी परिवार के सदस्य से मां के प्यार की तुलना नही कर रहा बल्कि बस यही बताने की कोशिश कर रहा हूं एक मां को बच्चे के चोट दुख और परेशानियों का एहसास सबसे ज्यादा होता है ....
और उसकी वजह है ...वो दुनिया में आपको किसी से भी नौ महीने अधिक जानती है महसूस करती है...

thanku for read....

Wednesday, June 24, 2020

* नया रिश्ता *

Meri kahaniya..

                                      

                                     नया रिश्ता 




..........बिदा करा कर बारात वापस आयी और मैं इन्हें अपनी नौकरी वाले शहर ले आया । ......


छोटा सा मकान , आगे बरामदा , दो कमरे, किचन , पीछे कच्चा मिट्टी वाला आंगन जिसमे एक नीम का पंद्रह बीस फुट ऊंचा पेड़ था ।


पहले ही दिन सवेरे सवेरे इन्होंने आंगन के सेंटर में गोबर से लीप कर मायके से लायी तुलसी लगा दी ।चारो तरफ़ रंगोली बना कर दीपक जला मेरी तरफ़ विजयी भाव से देखा... मैं तो पहले ही सब हार चुका था .. मुस्कुरा दिया ।

इन्होंने मेरे क्वार्टर को उस सवेरे घर मे बदल दिया था । नीम वाले आँगन में कुछ कमी तो मुझे पहले भी लगती थी पर वो क्या थी , इन्होंने पहली सुबह ही बता दिया ।


गाँव और शहर का फर्क मुझे कभी इनकीं चेहरे हाथों की भाव भंगिमाओं में तो कभी चौड़ी फैलती आंखों में तो कभी मुँह से निकलती हाय राम , जे का है तो कभी हाय दैया में !

हर वक़्त एक ही सवाल पूछती , ' आपको का पसंद , का खाओगे , का बनाएं ? ऐसा दिन में चार पाँच बार तो हो ही जाता । और मैं टटोल रहा था कि इसे क्या क्या पसंद है ?.........


गाँव की मिठाई , साड़ियाँ , गहने इन्हें शहर में नही दिख रहे थे । बाज़ारो में इनको इतना सब नया नया दिख रहा था ये हर दुकान पर रुक कर पूछती , ' जे का है , जा से का होत , जे आपको पसंद , बो ले लो आप अपने लाने !"

मैं इसे पूछता ये ले लो , ये पहनोगी , ये खाओ , ये ले चलो .. पर हर बात का उत्तर एक ही होता , ' हमे का कन्ने जे सब ले कर , हमे नई लेने !"

एक महीना हो चला । इनका यही ' ना ना का पहाड़ा ' चल रहा था , मुझे अच्छा नही लग रहा था जो हर बात के लिए मना कर देती ।

वो शाम गहरा गयी थी ।....


आकाश में बादल भी घुमड़ रहे थे , आज शायद बारिश होगी , मैंने इन्हें कहा ... और लाइट चली गईं ।

बारिश के आसार होते ही बिजली जाती रहती थी पर शादी के बाद पहली बार आज शाम को घुप्प अंधेरा छा गया । मैं कुछ कहता इससे पहले ही ये आले में रखी ढिबरी जलाने की तैयारी करने लगी ।

उनकी आँखों में मुझे मायके की चमक दिख रही थी धुंधलके में घूँघट से ढिबरी की लौ में एक बार फ़िर से गाँव के उस पीछवाड़े के हीरे चमक उठे और मैं सम्मोहित सा इन्हें देख रहा था ।


.....ये माचिस जलाती और मैं फूँक मार कर बुझा देता ,तीन चार बार ऐसा ही किया और घूँघट चुप चाप झुक गया ..

मैंने कहा , " आज तुम्हे बताना ही पडेगा कि तुम्हे क्या क्या पसंद है .. सब्ज़ी में , मिठाई में , गहनों में , कपड़ो में कुछ बोलती ही नहीं , आज बताना ही पड़ेगी अपनी पसंद . ... वरना मैं ढिबरी नही जलने दूँगा ..। "

अचानक ... घूँघट मेरे सीने से आ लगा और मद्दम आवाज़ आयी , " आप और सिर्फ़ आप ... बस !" उस रात .. न तो बिजली आयी और न ढिबरी ही जली ... पर रात भर बादल बरसे और ... ख़ूब बरसे ...

    

Kuch to baat hai.....Is barish me...😊😊😉

......यार गांव की लड़की और शहर की लड़की में सच ने बहुत अंतर होता है ।

आपको ये स्टोरी कैसी लगी ।।।...... कमेंट seccion में जरूर बताएं।।।


...             ...thanku for read.....

Sunday, June 21, 2020

* Happy Father's day *

       😊         " हैप्पी फादर्स डे...    😊
  
Happy Father's day

@@पता है मोहनजी.... अपनी आराध्या ने बताया इस संडे फादर्स डे है ...
सुनो ना ...मे कया कहती हूं इस सुअवसर पर हमें पापाजी को एक कलाई घडी देनी चाहिए.....
सुधा अपने पति मोहन से बोली ...उसकी आँखों में एक खुशहाल सी चमक थी वही चमक उसकी सास की आँखों में भी थी..
कया ...कलाई घडी ...कयो ...उनके पास मोबाइल है ना टाइम देखने के लिए...

आपको नही पता पापाजी को कलाई घडी बहुत पसंद है आँफिस जाते वक्त बहुत चाव से बांधते थे ऐसा मम्मी जी ने बताया था एकबार... रिटायरमेंट के वक्त जो उपहार स्वरूप उन्हें मिली थी वो तो कबकी टूट चुकी ...आपसे कितनी बार कहा उसे बनवाने को मगर ...
सुनिए ना इसी बहाने सही उन्हें उनके होने का अपनी अहमियत का एहसास होगा जो वो अक्सर आपकी आँखों में तलाशते है....

देखो मुझे ये बेकार के चोचले पसंद नहीं और ना ही फालतू के खर्चे ...तुम्हें अच्छे से पता है ...है ना...बेकार का फादर्स डे ...आजतक तो कभी पहले नही मनाया हमने ....इन बेकार की चीजों पर ध्यान मत दो ...फालतू के चोचले....
अच्छा हां ....ये परसों बांस की वाइफ का बर्थडे पार्टी है उन्होंने ड्रेस कोड ग्रीन कलर रखा है मेरे पास तो ग्रीन शर्ट कोट पेंट है तुम एक ग्रीन कलर का गाउन ले आना अपने लिए ....ये लो कार्ड....कार्ड देते हुए मोहन बोला
शायद आप भूल गए मोहनजी.... मे भी आपकी ही तरह हूं मुझे भी ये दुनिया के चोचले पसंद नहीं और ना ही फालतू के खर्चे का शौक .......
अब सुधा की आँखों में संतोष भरी चमक थी साथ ही वहीं चमक उसकी सास की आँखों में भी थी ...जो दीवार पर एक हार टंगी तस्वीर मे मुसकुरा रही थी...
अरे सुधा ....
बस मोहनजी बस ....कल यही सब हमारी औलाद हमारे साथ करेंगे तो ...बुजुर्गों को बच्चों से छोटी छोटी खुशियां मिलती रहे तो उन्हें बुजुर्गियत मे दवाओं से अधिक ताकत मिलती है जीवन जीने मे ....और हम ...कया खुशियां दे रहे है पापाजी को ....
एकदम सन्नाटे से मोहन चौका एकपल मे उसे अपना भविष्य सामने आइने मे दिखाई देने लगा...वो झुझंलाते हुए चीखा....नही.... मुझे क्षमा कर दो सुधा क्षमा कर दो....
माफी मुझसे नही पापाजी से मांगिए ....
मोहन तुरंत दौडकर अपने पिता के कमरे में पहुंचा और पैरों में गिरकर माफी मांगने लगा ...पिता ने उसे उठाकर सीनेसे लगाकर कहा -माफी ...पर मोहन तुमने किया कया है बेटा ....
कुछ नही पापाजी ....कल फादर्स डे है ये भूल गए थे ...
कया....अरे मेरे बच्चो तुम मेरे पास हो मेरे साथ हो मेरा तो हरदिन फादर्स डे है ...सदा खुश रहो ...कहकर मोहन को गले से लगा लिया....आज मोहन को सचमुच पिता की अहमियत और उनके होने का एहसास हो रहा था ......

    Happy Father's day .......😊

पुरुष का बलात्कार

आज का समाज बहुत आगे बढ़ चुका है । आज लड़का और लड़की दोनो को ही समान नजरो से देखा जा रहा है । आज हम जहा सिर्फ लड़की के साथ होने वाले गलत घटना...