Thursday, June 18, 2020

"एक दूजे के लिए.....

Meri kahaniya 
       "एक दूजे के लिए.....

लड़की के बाल थोड़े उलझे से थे....
Meri kahaniya

जैसे की सुबह बना कर दोबारा कंघी करने का समय ही ना मिला हो...उसपर मटमैले से रंग का कुरता भी घिसा सा था...

वो चुपचाप कोने की कुर्सी पर बैठी थी...

जतिन को बड़ा अटपटा लगा कया ये वही लड़की है जिससे मिलने वो आया है बायोडाटा के हिसाब से वो लड़की के लिए और लड़की उसके लिए पूरी तरह से सही लग रहे थे...लेकिन अब उसे ऐसा नही लग रहा.. 
अरे कंघी तो कर लेती और क्या यही सबसे अच्छा कुरता है लड़की के पास... 
वो आज खुद तो अपनी सबसे बढ़िया शर्ट पहन कर आया है...
                             

"छाया....अब जतिन को अपने कमरे में ले जाओ दोनों एक दूसरे से जो पूछना हो पूछ लेना " अपनी माँ की बात सुनकर ऐसा लगा जैसे छाया ने मुंह टेढ़ा सा किया हो

सब बड़े मजे से चाय नाश्ते का लुफ्त उठा रहे थे ऐसे हंस बोल रहे थे जैसे की रिश्ता तय ही हो गया हो।

जतिन चुपचाप छाया के पीछे पीछे चल पड़ा। छाया का कमरा देख उसे आश्चर्य हुआ। बड़े खुशनुमा से रंग बिखरे थे हर तरफ...
सामने छाया की बड़ी सी तस्वीर गुलाबी सूट में कितनी खूबसूरत दिख रही थी...

नजरें सामने करीने से रखी ढेर सी किताबों पर जा पडी।

"लगता है, आप को पढ़ने का बहुत शौक है....

जतिन का सवाल सुन कर छाया थोड़ा चिढ कर बोली

"क्यों नहीं होना चाहिए क्या ...

अब जतिन को थोड़ा गुस्सा आने को हुआ जाने खुद को क्या समझती है .... 
रोज नाश्ते में कौवे खाती है कया..

सोच कर उसके मुँह से हल्की सी हँसी फूटी...

छाया ने अचरज से जतिन को देखा....लड़का बड़ा अजीब है। बिना बात हँस रहा है।

"देखिये....बाहर चलते है बात क्या करनी है मैंने तो पापा मम्मी से यही कहना है कि मुझे लड़का ...
आई मीन रिश्ता पसंद नहीं है। "

छाया की बात सुनकर जतिन हैरान रह गया। फिर हँस कर बोला

"अब समझ आया कि आप झल्लों माई क्यों बन कर बैठीं है वैसे कौन है वो....

"वो ....कौन वो ....
अरे नहीं अफेय- वफेयर नहीं है। बैंक पी ओ की तैयारी कर रही हूँ। नौकरी लग जाने के बाद ही शादी करूँगी....

"तो फिर हमें बुलाया क्यों... 
पहले ही मना कर देना था ... जतिन ने थोड़ा रुखाई से पूछा।

"मना किया था। पर मौसी ने जिद पकड़ ली थी... 
बिलकुल राम -सीता की जोड़ी है कह कह कर, पापा मम्मी का पीछा छोड़ा ही नही... 
फिर पापा मम्मी मेरे पीछे पड़ गए। बस अब मना कर दूंगी और ये किस्सा ख़त्म ....

"चलो ठीक है पर मना करने का कारण क्या बताओगी ....

छाया सोच में डूब गयी।

"वैसे बुरा न मानो तो एक बात कहूँ...
तुम्हे पढ़ना ही है ना तो अभी बस सगाई कर लेते हैं और शादी एक साल बाद कर लेंगे...
एक साल में पास हो तो जाओगी ना....

"हो तो जाना चाहिए पर अगर एक साल में नहीं हो पायी तो....
फिर एक साल इन्तजार करेंगे क्या

"अब इन्तजार की तो हद होती है ना...
सो एक साल से ज्यादा इन्तजार तो नहीं कर सकता...
पर हाँ एक वादा कर सकता हूँ !"

"क्या....

"यही की अगर इस साल पास नहीं हो पाईं तो शादी के बाद घर का आधा काम तो कर ही दूंगा ताकि तुम आराम से पढ़ो और तसल्ली से पास हो बैंक अफसर बन जाओ। बस एक शर्त है...

"अब शर्त भी रखोगे ....

"हां.... बस दोबारा कभी ये मटमैला कुरता नहीं पहनना....
इसे तुरंत आज के आज फैंक देना

जतिन की बात सुन छाया जोरों से हँस पडी। जतिन भी हँसने लगा।

दोनों की हंसने की आवाजें बैठक तक पहुँची तो मौसी चहक कर बोली....

"देखा ना.... दोनों कितने खुश है...मैं ना कहती थी, दोनों बस एक दूजे के लिए ही बने है....

         ......Thanku for read......

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