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Monday, July 20, 2020

! "*आर्मी मैन पार्ट - 4 *" !

Hello,

Yaha mene ek Aur Intresting Story Army Man Part - 4 hindi kahaniyon post ki hai. asha karta hu ki apko Army man ki ye hindi kahaniya ki series jarur pasand ayengi.


फौजी.....



....शिवम् को एक और चिंता थी....
अगर वह 3 महीने बाद फिर से छुट्टी पर आता है, तो अपने बच्चे के जन्म के समय भावना के पास नहीं रह पाएगा.... इस का मतलब उसे बीच में छुट्टी लेने से बचना होगा तभी 2 महीनों की इकट्ठी छुट्टी ले पाएगा. यही सब सोच कर वह और परेशान हो जाता. ऐसे हालात में वह बीच के पूरे 5 महीनों तक भावना को देख नहीं पाएगा. वह जिस जगह पर है वहां भावना को किसी भी हालत में ले जाना असंभव है. फिर इस हालत में तो उस का सफर करना वैसे भी ठीक नहीं है, और वह भी इतनी दूर. एक पुरुष अपने प्यार और फर्ज के बीच कितना बेबस, कितना लाचार हो जाता है....
छुट्टी के आखिरी दिन वह सुबह भावना को डाक्टर के यहां ले गया. उस का चैकअप करवाया. सब नौर्मल था. घर आ कर उस ने पैकिंग की. इस बार अपनी पैकिंग के साथ ही उसे भावना के सामान की भी पैकिग करनी पड़ी... क्योंकि अब वह भावना को अकेला नहीं रख सकता....
उसे उस के मातापिता के घर पहुंचा कर जाएगा... सामान बैग में भरते हुए उस ने कमरे पर नजर डाली. अब पता नहीं कितने महीनों तक वह अपने घर, अपने कमरे में नहीं रह पाएगा. उस की आंखें भीग गई उस ने चुपचाप शर्ट की बांह से आंखें पोंछ लीं...
‘‘क्या हुआ जी....’ भावना ने तड़प कर पूछा....
‘‘कुछ नहीं....शिवम् ने भरे गले से जवाब दिया....
‘‘इधर आओ मेरे पास...’’ भावना ने उसे अपने पास बुलाया और फिर उस का सिर अपने सीने पर रख कर उस के बाल सहलाने लगी...
शिवम् बच्चों की तरह बिलख कर रो पड़ा....
‘‘यह क्या… ऐसे दिल छोटा नहीं करते....
ये दिन भी बीत जाएंगे जी...भावना उसे दिलासा देती रही...
वापस जाते हुए शिवम् ने एक भरपूर नजर अपने घर को देखा और फिर भावना के साथ कार में बैठ गया....
भावना के पिता का ड्राइवर उसे बस स्टैंड पहुंचाने आया था. वही वापसी में भावना को अपने माता पिता के घर पहुंचा देगा....
बसस्टैंड पहुंच कर शिवम् ने अपना सामान निकाला और बस में चढ़ा दिया. वह चेहरे पर भरसक मुसकराहट ला कर भावना से बात कर रहा था औैर उसे तसल्ली दे रहा था...भावना अलबत्ता लगातार आंसू पोंछती जा रही थी. लेकिन शिवम् तो पुरुष था ना... जिसे प्रकृति ने खुल कर रोने और अपना दर्द व्यक्त करने का भी अधिकार नहीं दिया है.....
कोई नहीं समझ सकता कि कुछ क्षणों में एक पुरुष कितना असहाय हो जाता है....
कितना टूट जाता है अंदर से जब दिल दर्द से तार तार हो रहा होता है और ऊपर से आप को मुसकराना पड़ता है, क्योंकि आप पुरुष हैं जो पौरुषेय और भावनात्मक मजबूती व स्थिरता का प्रतीक है....
रोना आप को शोभा नहीं देता शिवम् भी भावना को समझाता, सहलाता खड़ा रहा...
बस चलने को हुई बस ड्राइवर ने ऊपर चढ़ने का इशारा किया. तब शिवम् ने भावना को गले लगाया और तुरंत पलट कर बस में चढ़ गया. सीट पर बैठ कर वह भावना को तब तक बाय करता रहा जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गई.....
शिवम् ने अपना मोबाइल निकाला.... मोबाइल के पारदर्शी कवर के अंदर एक छोटी सी रंगीन नग जड़ी बिंदी थी.... जो भावना के माथे से निकल कर ना जाने कब रात में तकिए पर चिपक गई थी.... शिवम् ने उसे मन से सहेज कर अपने मोबाइल के कवर के अंदर चिपका लिया था...
अब यही उस के साथ बिताई यादों का खजाना था जो अगल 3-4 या ना जाने कितने महीनों तक उसे संबल देता रहेगा....
रात के अंधेरे में अब कोई उस की कमजोरी देखने वाला नहीं था एक पुरुष को रोते देख कर आश्चर्य करने या हंसने वाला कोई नहीं था....
अब वह खुल कर अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकता था. जी भर कर रो सकता था… शिवम् मोबाइल कवर के अंदर से झांकती भावना की बिंदी पर माथा रख कर बेआवाज रोने लगा… आंखों से अविरल आंसू बह रहे थे..

...dosto ye kahani to yhi samapt ho rahi... par ye kahani koi jhut nhi har fouji ki hai desh or parivar ko apni jaan se jada pyar karna.... in fouji se jada koi ni kar sakta...

अपनी पत्नी से विदा ले कर एक फौजी ने वापस उस दुनिया के लिए यात्रा शुरू कर दी जहां कदम कदम पर सिर पर मौत मंडराती है....
जहां से उसे नहीं पता कि वह कभी वापस आ कर पत्नी और बच्चे को कभी देख भी पाएगा या नहीं....
बस हर पल जेब में सिंदूर की डिबिया रखे वह कुदरत से कामना करता रहता है कि बस इस बिंदी और उस अजन्मे बच्चे की खातिर उसे वापस भेज देना.....
दोस्तों यही है हमारे एक एक वीर फौजी भाई की जीवनगाथा..... ऐसे ही त्याग और बलिदान के लिए सदैव तत्पर रहनेवाले सभी फौजी भाइयों को मेरा सेल्यूट
जय हिंद

Friday, July 17, 2020

! * आर्मी मैन पार्ट - 3 * !

Hello, 

Yaha mene ek Aur Intresting Story di jo ki Army man ki life ke upar based hai ye hindi kahaniyon me se ek hai. asha karta hu ki apko Army man  ki ye hindi kahaniya jarur pasand ayengi.


फौजी....

काश.....जीवन ऐसा ही होता शांत, सुव्यवस्थित, निश्चिंत. बस वह भावना, उन का बच्चा और घर.... 
रात में नीचे किचन में जा कर शिवम् अपने लिए कौफी और भावना के लिए दूध ले आया....
‘‘वहां भी ड्यूटी यहां भी ड्यूटी… आप को तो कही पर आराम नहीं हैँ..... 
वहां से इतना थक कर आए हैं और यहां भी चैन नहीं है,’’ .. भावना दूध का गिलास लेते हुए बोली....
‘‘इस ड्यूटी के लिए तो कब से तरस रहा था....
भला तेरे लिए कुछ करने में मुझे थकान लग सकती है क्या...शिवम् प्यार से बोला....
‘‘इतना चाहते हो मुझे....भावना विह्वल स्वर में बोली....
‘‘तू मेरी सांस है. तेरे प्यार के सहारे ही तो जी रहा हूं,...शिवम् बोला. ...
सुबह उठते ही शिवम् ने भावना से पूछा..
‘‘क्या खाएगा मेरा बच्चा आज...’
‘‘कौर्नफ्लैक्स....भावना बोली.’’
शिवम् ने फटाफट दूध गरम कर उस में बादाम, पिस्ता डाल कर कौर्नफ्लैक्स तैयार कर के चाय की ट्रे के साथ बाहर बगीचे में ले आया....
दोनों झूले पर बैठ गए.... सुबह की ठंडी हवा चल रही थी सामने सूरजमुखी के पीले फूलों वाला टी सैट था...
साथ में भावना थी और वह पैरा कमांडो जो रातदिन देश की सुरक्षा की खातिर आतंकवादियों का पीछा करते मौत से जान की बाजी खेलता रहता,... आज की खुशनुमा सुबह अपने घर पर था. दोपहर का खाना दोनों ने मिल कर बनाया.... छुट्टियों में भावना के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने के उद्देश्य से शिवम् दोनों समय खाना बनाने में उस की मदद करता. बीच में बिरहा के बादल छंट जाते और प्यार की कुनकुनी धूप दोनों के बीच खिली रहती. दोपहर में वह उसे कोई कौमेडी फिल्म दिखाता, वही उस की पसंद के फल काट कर खिलाता. फिर खाना भी अपने हाथ से परोसता....
‘‘अरे मैं नीचे आ जाती ना…. आप ऊपर क्यों ले आए खाना... 
कितने चक्कर लगाओगे...’’ भावना बोली....
‘‘तुम्हारे लिए अभी बारबार सीढि़यां चढ़ना उतरना ठीक नहीं है... इसलिए मैं खाना ऊपर ही ले आया..
’’शिवम् ने थाली में खाना परोसते हुए बोला...
‘‘लीजिए....आप का पति आप की सेवा में हाजिर है....
‘‘कितनी सेवा करोगे जी...
‘हम तो सेवा करने के लिए ही पैदा हुए हैं जी... 
ड्यूटी पर भारत माता की सेवा करते हैं और छुट्टी में पत्नी की....’ शिवम् भावना को एक कौर खिलाते हुए बोला.
बीच बीच में शिवम् अपनी पोस्टिंग की जगह भी फोन कर वहां के हालचाल पता करता रहता....
आखिर वह एक फौजी था और फौजी कभी छुट्टी पर नहीं होता....
हर बार पोस्टिंग की जगह से फोन आने पर उस का दिल डूबने लगता कि कहीं वापस तो नहीं बुला रहे… 
कहीं किसी इमरजैंसी के चलते छुट्टी कैंसिल तो नहीं हो गई. कुल 22-23 दिन वह भावना के साथ रह पाता है, उस में भी हर पल मन धड़कता रहता कि कहीं छुट्टी कैंसिल ना हो जाए, क्योंकि पैरा कमांडो होने के कारण उस की जिम्मेदारियां बहुत ज्यादा थीं.....
शिवम् की छुट्टियां खत्म होने को थी अब रोज रात को वह अफसोस से भर जाता कि भावना  के साथ का एक और दिन ढल गया.... ऐसे ही दिन सरकते गए...
शिवम् रात में गैलरी में खड़ा सोचता रहता कि इस बार भावना को छोड़ कर जाना जानलेवा हो जाएगा. वह इस दौर में पूरा समय भावना के साथ रहना चाहता था....
अपने बच्चे के विकास को महसूस करना चाहता था इस बार सच में उस का जरा भी मन नहीं हो रहा था जाने का.... उस ने मन ही मन कामना की कि कम से कम अगली पोस्टिंग ऐसी जगह हो कि वह 2 साल तो अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रह पाएं.......

To be continued....... 


जय हिंद



Thursday, July 16, 2020

! *.. आर्मी मैन पार्ट - 2. . * !

फौजी.....



शिवम् ने अपनी रात की ड्यूटी लगवा ली. वह रोज रात को 11 बजे से ढाई बजे या 3 बजे तक ड्यूटी करता और पूरी ड्यूटी के दौरान भावना से बातें करता रहता....
हर 10-15 मिनट पर वह सिटी बजा कर अगली पोस्ट पर अपने इधर सब ठीक होने की सूचना देता और.. फिर जब उधर से जवाब आ जाता तो फिर भावना से बातें करने लगता ऐसे दोनों काम हो जाते. ...
पत्नी और देश दोनों के प्रति वह पूरी ईमानदारी से अपना फर्ज पूरा कर देता.....
3 बजे वह रूम में आता. हाथमुंह धो कपड़े बदल मुश्किल से डेढ़ दो घंटे सो पाता कि फिर सुबह उठ रैडी हो कर ड्यूटी जाने का समय हो जाता. फिर सारे दिन की भागादौड़ी. उस की यूनिट के लोग उस की दीवानगी देख कर उस पर हंसते, लेकिन उस की देश और परिवार दोनों के प्रति गहरी निष्ठा देख कर उस की सराहना भी करते. इधर 2-3     ऐनकाउंटरों में मिलिटैंट्स के मारे जाने के बाद से .....  पूरे सैक्टर में खामोशी सी छाई थी.



लेकिन शिवम् को हमेशा लगता रहता कि यह किसी जोरदार धमाके के पहले की शांति हो सकती है....
हो सकता है अचानक जबरदस्त हमले का सामना करना पड़े. वह अपनी तरफ से हर समय चौकन्ना रहता. लेकिन पूरा महीना शांति से बीत गया शिवम की छुट्टी मंजूर हो गई. अब उस की बेचैनी और ज्यादा बढ़ गई....
दिन काटे नहीं कटते.
घर जाने के लिए यूनिट से सवा घंटा बस से जम्मू. जम्मू से ट्रेन पकड़ कर अजमेर और फिर अजमेर से दूसरी ट्रेन पकड़ कर अहमदाबाद पूरे 2 दिन का सफर तय कर वह अहमदाबाद बस स्टैंड पहुंचा....
टैक्सी ले कर 1 बजे अपने घर भावना  के सामने खड़ा था.
भावना का चेहरा अपने हाथों में थाम कर शिवम्  ने उस का माथा चूम लिया..... 2 मिनट तक वह उसे एकटक देखता रहा. उस का प्यारा चेहरा देख कर शिवम् की पिछले कई महीनों की थकान दूर हो गई, सारा तनाव खत्म हो गया. भावना के साथ जिंदगी एक बार फिर से प्यार भरी थी, खुशनुमा थी. दूसरे दिन भावना का अल्ट्रासाउंड होना था....शिवम् उसे क्लीनिक ले गया. उस ने डाक्टर से रिक्वैस्ट की कि वह भावना के साथ अंदर रहना चाहता है, जिसे डाक्टर ने स्वीकार लिया. मौनिटर पर शिवम् बच्चे की छवि देखने लगा.... खुशी से उस की आंखें भर आई...
रात में जब दोनों खाना खाने बैठे तो शिवम् को महसूस हो रहा था जैसे वह पता नहीं कितने बरसों के बाद भावना के साथ बैठा है एकदम फुरसत से.... कितना अच्छा लग रहा है… दिमाग में तनाव नहीं… मन में कोई हलचल नहीं. सब कुछ शांत.... 
सुव्यवस्थित ढंग से चलता हुआ शिवम्  ने एक गहरी सांस ली कि काश....... 

  To be continued..... 

जय हिंद

Tuesday, July 14, 2020

.. ! आर्मी मैन !..

फौजी.....


शिवम्  उस समय ड्यूटी पर था जब उसे पता चला कि वह बाप बनने वाला है.....
पत्नी भावना  से फोन पर बात करते हुए शिवम् का गला खुशी से भर्रा गया....
उसे अफसोस हो रहा था कि वह इस समय भावना के साथ नहीं है.... उस ने फोन पर ही ढेर सारी नसीहतें दे डाली कि यह नहीं करना.... वह नहीं करना.....

ऐसे मत चलना... . बाथरूम में संभल कर जाना.... कश्मीर के अतिसंवेदनशील इलाके में तैनात पैरा कमांडो मेजर शिवम् जो हर समय कदम कदम पर बड़ी बहादुरी और जीवट से मौत का सामना करता है, आज अपने घर एक नई जिंदगी के आने की खुशी में भावुक हो उठा...
ना जाने कब आंखों में नमी उतर आई. आम लोगों की तरह वह इस समय अपनी पत्नी के पास तो नहीं हो सकता, लेकिन है तो आखिर एक इंसान ही.... 
लेकिन क्या करे किसी बड़े उद्देश्य की खातिर, अपने देश की खातिर अपनी खुशियों की कुरबानियां तो देनी ही पड़ती है....
शाम को मेस में जा कर शिवम् ने खुद सब के लिए सेंवइयों की खीर बनाई और सब को खिलाई......
उस रात शिवम् की आंखों से नींद कोसों दूर थी. सब कुछ सपने जैसा लग रहा था.....
शिवम्  बारबार भावना  को फोन कर उस से पूछता, ‘‘भावना .... यह सच है ना....
भावना  को हंसी आ जाती, उस के और भावना  के प्यार का अंश..... 
उन का अपना बच्चा.....भावना  आज और भी ज्यादा अपनी, और भी ज्यादा प्यारी तथा दिल के और करीब लग रही थी.....शिवम् ने सुबह 6 बजे से ही भावना को फोन करना शुरू कर दिया...
‘‘क्या कर रहा है मेरा बच्चा.... 
भूख तो नहीं लगी....
जल्दी से ब्रेकफास्ट कर लो....और दवा ली....
कैलेंडर पर 1-1 कर के तारीखें आगे बढ़ रही थीं और शिवम्  के छुट्टी पर जाने के दिन भी करीब आते जा रहे थे. वैसे तो भावना से शादी होने के बाद से शिवम् को हर बार ही छुट्टी पर जाने की जल्दी रहती थी, लेकिन इस बार तो उसे बहुत ही ज्यादा बेचैनी हो रही थी. हर दिन महीने जितना लंबा लग रहा था....उधर भावना  को भी रात देर तक नींद नहीं आती थी...दिन तो फिर भी कट जाता था, लेकिन रात भर वह बेचैनी से करवटें बदलती रहती......

    ..to be continued..


जय हिंद

Hello dosto.. ye kahani desh ki army man ke bare me hai... jo desh ke rakhsa or parivar dodo ke prati apne kartv pyar ko apni jaan se bi jada.. mahtv deta.... 
 A real heroes Army..... 

Sunday, July 5, 2020

.. ! "* सच्ची मोहब्बत *" ! ..

       सच्ची मोहब्बत...


..एक बार ऐसा हुआ पति पत्नी में छोटी सी बात पर झगड़ा हो गया
गर्मीयो की रात थी वो दोनों अपनी अपनी जगा पर सो गये आधी रात को पति को प्यास लगी
वाटर कूलर पास ही मेज़ पर रखा था पति ने खुद उठ कर पानी पिया अचानक उसने मुड कर देखा
बीवी उसे गुस्से में देख रही थी और बोली आपने पानी खुद कियो पिया पति ने भी गुस्से और अकडन से जवाब दिया हाथ पाँव सलामत हैं खुद पी सकता हूँ मोहताज नहीं हुँ..


बीवी ने क़रीब आकर पति का गिरबान पकड़ लिया और बोली केे एक बात गोर से सुनो मेरी
लड़ाई अपनी जगह लेकिन में अपना हक़ और ख़ुशी को छीनने नहीं दूंगी
पता है आपको पानी पिलाते हुए कितनी मुझे ख़ुशी होती है भले ही बात चीत बंद कियो न हो
लेकिन पानी आप खुद नहीं पीयेंगे बीवी की आँखें नर्म और नाज़ुक सुर्ख थी पति ने
उसे गले लगाया और झगड़ा खत्म कर दिया❤❤ और फिर दस साल बाद...

जब रात को तीन बजे पति पानी पीने केे लिए उठता है तो दीवार पर लगी बीवी की खूबसूरत तस्वीर
को देख कर आँखों से पानी बहनें लगता है और भीगी हुई आँखों से तसवीर को हाथ लगाता हैं उसे अपनी बीवी की एक बात याद आ जाती है ..वो कहती थी मोहब्बत मर नहीं सकती
मेरे भाइयों और बहनो अपने क़रीब लोगों की क़दर कीजिए क्या पता वक़्त कहा पलटी मार दे !!.... 
.. 
thanku for read.... 

Wednesday, July 1, 2020

"*आत्मा की शांति *"

Meri kahaniya... 

                 * आत्मा की शांति *


आत्मा की शांति.....

घर में क्रंदन मचा हुआ था। रात घर के मुखिया प्रकाश जी का हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। सभी रिश्तेदारों को खबर करवा दी गई थी। दूर-दूर से रिश्तेदारों के आने में 12:00 बज गए। प्रकाश जी की पत्नी अपने पति की असामायिक मृत्यु से सदमे में थी और कई बार बेहोश हो चुकी थी। उनकी पुत्र वधू किसी तरह उन्हें संभाल रही थी।
उनका डेढ़ वर्षीय पोता अपनी दादी के आंसू पोंछता और फिर खुद भी रोने लग जाता। थोड़ी थोड़ी देर में वह अपनी मां को दूध व खाने के लिए भी कहता। लेकिन रमा आने जाने वालों को पानी देने व बैठाने के इंतजाम करने में इतनी व्यस्त थी कि वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी।
दाह संस्कार से आने के बाद बड़े बुजुर्ग व अन्य पारिवारिक सदस्य प्रकाश जी की आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं के शांतिभोज में क्या क्या बनेगा इस बात पर चर्चा करने बैठ गये।
रमा की बुआ सास ने उसे घर की धुलाई के लिए बोल दिया। रमा ने जल्दी से सारे काम निपटा, अपने बेटे के लिए खिचड़ी बना दी। वह जैसे ही उसे खिलाने के लिए खिचड़ी थाली में डालने लगी, तभी बुआ सास रसोई में आ गई और खिचड़ी देखते ही गुस्से से बोली "यह क्या अनर्थ कर दिया बहु तूने! तुझे इतना भी नहीं पता कि घर में 2 दिन तक चूल्हा नहीं जलता!"

रमा घबरा गई और बोली "माफ करना बुआ जी, मुझे नहीं पता था। राघव सुबह से भूखा था और वो दोपहर में खिचड़ी ही खाता है इसलिए मैंने बना दी।"
" खिचडी क्यों, पकवान बना देती! कुछ देर और रुक जाती पड़ोसी ला रहे थे ना खाना बनाकर। पर तुम्हें तो अपनी मनमानी करनी है। अब खड़ी खड़ी मुंह क्या देख रही है। अपने ससुर की आत्मा की शांति चाहती है तो जा फैंक दे इस खिचड़ी को।"
रमा जैसी खिचड़ी को फैंकने लगी, तभी उसकी सास वहां आ गई और बोली "रुक जा बहु। खिचड़ी फैंकने की कोई जरूरत नहीं । जा इसे राघव को खिला दे।"
"यह क्या कह रही हो भाभी। यह तो नादान है। तुम्हें तो सब रीति रिवाजों का पता है ना!"
"सब पता है मुझे इन आडंबरों का। वहां तेरे भैया की चिता की राख ठंडी भी नहीं हुई और यहां बैठ सब उनकी तेरहवीं पर बनने वाले पकवानों की लिस्ट बनाने बैठ गये। देखो तो जरा बाहर। अभी तक सब घड़ियाली आंसू बहा रही थे और अब हंसी ठिठोली में मगन है। ये सब तो समझदार है ना! जानती हूं तुझे भी अपने भैया के असमय जाने का बहुत दुख है। लेकिन इसमें इस नासमझ का क्या दोष! इन रीति रिवाजों के नाम पर इस नन्ही सी जान को भूखा रखना शोभा देता है क्या! तुझे तो पता है ना कि तेरे भैया की जान बसती थी अपने पोते में तो क्या उसे भूखा देखकर उनकी आत्मा को शांति मिलेगी। " कह रमा की सास रोने लगी.....



"सही कह रही हो भाभी। भैया की आत्मा को शांति उन पकवानों से नहीं, अपने पोते को ये खिचड़ी खाते देख कर मिलेगी। जा बहु खिला दे राघव को खिचड़ी।" कह वह भी अपनी आंखों में आए आंसुओं को पोंछने लगी...



         Thanku fot read....... 

पुरुष का बलात्कार

आज का समाज बहुत आगे बढ़ चुका है । आज लड़का और लड़की दोनो को ही समान नजरो से देखा जा रहा है । आज हम जहा सिर्फ लड़की के साथ होने वाले गलत घटना...